लेखनी कहानी -13-Jul-2022गुरु बिन ज्ञान
गुरु बिन ज्ञान
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हमारे देश में गुरु शिष्य परंपरा की
नींव सदियों पूर्व से स्थापित है।
इस व्यवस्था के बिना
ज्ञान और ज्ञानार्जन की
हर व्यवस्था जैसे विस्थापित है।
माना कि हमनें विकास की सीढ़ियां
बहुत चढ़ ली है,
मगर एक भी सीढ़ी
हमें भी तो बता दो
जो गुरु के बिना गढ़ ली है।
भ्रम का शिकार या
घमंड में चूर मत हो,
धन,दौलत का गुरुर
अपने पास ही रखो,
आँखे फाड़कर जरा
अपने आसपास देखो।
कब,कहाँ और कैसे
तुमनें ज्ञान पाया है?
जिसमें गुरु का योगदान
जरा भी नहीं आया है।
जन्म से मृत्यु तक
वह समय कब आया है?
जब तुम्हारा खुद का ज्ञान
तुम्हारे अपने काम आया है।
जिस ज्ञान पर आज इतना
तुम इतराते हो,
ये ज्ञान भी भला तुम
क्या माँ के पेट से लाये हो?
कदम कदम पर
ये जो ज्ञान बघारते हो,
सोचो क्या ये ज्ञान भला
स्वयं से ही पाये हो।
प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष हमें जीवन में
हजारों गुरु मिलते हैं,
उनके दिए ज्ञान की बदौलत ही तो
हमारे एक एक दिन कटते हैं।
सतगुरु के बिना भला
ज्ञान कहाँ मिलता है?
गुरुज्ञान की बदौलत ही तो
हमारा जीवन चलता है।
Gunjan Kamal
14-Jul-2022 09:34 AM
शानदार प्रस्तुति 👌
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Raziya bano
13-Jul-2022 06:06 PM
Bahut sundar rachna
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Milind salve
13-Jul-2022 04:50 PM
शानदार
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